సర్వ కార్య సాధక ధ్యానం

అసాధ్య సాధక!స్వామిన్!అసాధ్యం తవ కిం వదరామదూత! కృపాసింధో!మత్కార్యం సాధయ ప్రభో!

Tuesday, June 21, 2011

श्री पराशरसंहिता – हनुमन्म्ंत्रोध्धारणम् – व्दितीयपटलः

श्री पराशरसंहिता – हनुमन्म्ंत्रोध्धारणम् – व्दितीयपटलः

श्री परशरसंहिता – श्री आंजनेयचरितम
श्री पराशरसंहिता
हनुमन्म्ंत्रोध्धारणम् (व्दितीयपटलः)


श्री पराशर कहते हैं -
मन्त्रोव्दार को मैं कहता हूं| एकाग्र चित्त से श्रवन करें| जिसके विशिष्ट ज्ञान मात्र से मनुष्य सदैव विजयी होता है|
आदि मे ऊं का उच्चारण करके हरि मर्कट शब्द के बाद मर्कटाय एवं स्वआ का उच्चारण करें| (ऊं हरिमर्क़ट मर्कटाय स्वाहा)
व्दादशाक्षर से युक्तघ मन्त्र कहा गया है| ओंम नमः पंचवदनाय पूर्ववत कपि शब्द से युक्त करें |मुख में सकल शब्द का उच्चारण करके शत्रु संहरण का उच्चारण करें | अनन्तर यकार का उच्चारण करके ह्रों बीज का उच्चारण इस पद का एवं कस्वाहा पद का उच्चारण करें |
तैंतीस वर्णों वाला यह मंत्र का जाता है|दक्षिण की ओर मुख करके ओं नमः पंचवदनाय करालाय नृसिंहाय का उच्चारण करें तदनन्तर क्ष्रों बीज का उच्चारण करें | इन सभी पदों तथा भूतप्रमथनाय का उच्चारण करके स्वाहा पद का उच्चारण करें | यह विध्या कामना सिध्द करने वाली है |
चोंतीस वर्णात्मकघ मंत्र कहा जाता है | पश्चिम की ओर मुख करके ओं नमः पंचवदनाय वीराय गरुडाय कहकर क्ष्र्म्यों इस बीज का उच्चारण करें| इन सभी पदों का उच्चारण करके विषाय इस पद का उच्चारण करें| हराय इस पद का उच्चारण करके अनन्तर स्वाहा पद का उच्चारण करें|
एकतीस वर्णरूपात्मक यह मन्त्र कहा जाता है| उत्तर की ओर मुख करके ओं नमः पंचवदनाय आदि वराहाय पद का उच्चारण करें| तदनन्तर ज्लों बीज कहे | पूर्वोंक्त सभी पदों को कहकर संपत्कराय स्वाहा का उच्चारण करें|

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by Dr Annadanam Chidambara Sastry
http://www.jayahanumanji.com/

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